"Mohabbat bhi Zindagi ki tarah hoti hai Har mod asaan nehi hota, har mod pe khushiya nehi milti. Jab hum zindagi ka saath nehi chhodte toh Mohabbat ka saath kyun chhode?? ---Mohabbatein
2018-03-06
Ek Bewafaa
खुदाई से खुद को जुदा कर लिया था मेंने
हालात से मजबूर हो के ही सही
एक गुनाह कर बैठा था मेंने...
चाहा था जिनहे ज़िंदगी से भी बढ़कर
उनपे ही शक करना सुरू कर दिया था मेंने I
आज जब आखरी कुछ सांसें बाकी है ज़िंदगी की तो
जीने की एक उम्मीद जाग उठी है फिर से
पर जीए भी तो किसके साहारे
ज़िंदगी की हर एक उम्मीद तो उनसे जोड़ दिया था मेंने ।
नफरत तो कभी कर न सके हम उनसे
हाँ थोड़ा ख्वाफा थे, थोड़ा रुसवा थे हम
पर सपने जो देखे थे उनके साथ
किसि और के साथ जीना उन सपनों को
यह कभी सोच भी ना पाए हम ।
एक बेवफाई तब की थी
एक बेवफाई अब कर जाएंगे हम,
जिस ज़िंदगी को तेरे नाम लिखे थे
अब उसी ज़िंदगी से नाता तोड़ जाएंगे हम । ।
I have prepared this entire poem in just thirty seconds, today around 11:30 AM.
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